सीखे हम श्रीराम से, जीवन का ज्ञान, जो है स्वयं विष्णु का रूप, जिसे मानते नही कुछ लोग भगवान, जिनपर सवाल अक्सर उठाते है, मामूली इंसान बताते है, जो पिता का वचन निभाने को बिन कुछ कहे वन चले जाते है, उनको लोग वचन ना निभाने वाला कैसे कह पाते है? जो ज़िंदगी भर पालन करते रहे मर्यादाओं का, उनपर माता सीता को अकेले वन भेजने का आरोप लगाते है अकेले निकलें थे मानव रूप में बिना शक्तियों के, ज्ञानी मायावी से लड़ने मां सीता के लिए, सत्य अक्सर छुपाते है, उस मर्यादा पुरुषोत्तम पर जाने कैसे अज्ञानी है जो सवाल उठाते है। ©Manish Tilokani हमारी चेतना के प्रारूप श्रीराम हैं, उनके द्वारा संचालित सारे जगत के काम हैं... रोम रोम में बसते है, जन जन उद्धार करते है, मर्यादाओं वचनों के पालक, दुनिया के दुख हारक, जो दुनिया के लिए आदर्श है, जिनके कर्म बनाते उनको भगवान है,