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मै ऊपर से खामोश थी , लेकिन अंदर तूफान था मेरे पास

मै ऊपर से खामोश थी , लेकिन अंदर तूफान था
मेरे पास शब्द ना थे , बस उसी झूठ में जीए जा रहे थे
स्वाभिमान टूट कर बिखर रहा था , 
फिर भी सब ठीक हो जाएगा , की आस में साथ चले जा रहे थे

- ✍ शालिनी सिंह

©Shalini Singh
मै ऊपर से खामोश थी , लेकिन अंदर तूफान था
मेरे पास शब्द ना थे , बस उसी झूठ में जीए जा रहे थे
स्वाभिमान टूट कर बिखर रहा था , 
फिर भी सब ठीक हो जाएगा , की आस में साथ चले जा रहे थे

- ✍ शालिनी सिंह

©Shalini Singh