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तुम ख़ुशी के नग्मों में मिली , कभी सुबह

तुम   ख़ुशी  के   नग्मों   में   मिली , 
कभी  सुबह  की  रौशनी  में  ढली ,
मेरी   मंज़िल   की  राहें  थी  कभी 
अंधेरे  दिल  में शमा जलाने वाली ,
 👉🏻 प्रतियोगिता- 580
विषय 👉🏻 🌹"मंज़िल"🌹
🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I

🌟कृपया font size छोटा रखें जिससे wallpaper ख़राब नहीं लगे और Font color का भी अवश्य ध्यान रखें ताकि आपकी रचना visible हो। 

🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।
तुम   ख़ुशी  के   नग्मों   में   मिली , 
कभी  सुबह  की  रौशनी  में  ढली ,
मेरी   मंज़िल   की  राहें  थी  कभी 
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aloksaxena5479

Alok Saxena

New Creator