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एक जख्मी सैनिक अपने साथी से कहता है साथी घर जाकर

एक जख्मी सैनिक अपने साथी से कहता है 
साथी घर जाकर मत कहना, संकेतों में बतला देना। 
यदि हाल मेरी माता पूछें तो, जलता दीप बुझा देना। 
इतने पर भी वो ना समझे तो, दो आंसू तुम छलका देना। 
यदि हाल मेरी बहना पूछे तो, सूनी कलाई दिखा देना। 
इतने पर भी वो ना समझे तो, राखी तोड़ दिखा देना। 
यदि हाल मेरी पत्नी पूछे तो, मस्तक तुम झुका देना। 
इतने पर भी वो ना समझे तो, मांग का सिन्दूर मिटा देना। 
यदि हाल मेरा पापा पूछे तो, हाथों को सहला देना। 
इतने पर भी वो ना समझे तो, लाठी तोड़ दिखा देना। 
यदि हाल मेरा बेटा पूछे तो, सर उसका सहला देना। 
इतने पर भी वो ना समझे तो, सीने से उसको लगा देना। 
यदि हाल मेरा भाई पूछे तो, खाली राह दिखा देना। 
इतने पर भी वो ना समझे तो, सैनिक धर्म बता देना।।
      Sohil raza Amit Kumar Shaw Ranbir Ranjan Parveen Manish Kumar
एक जख्मी सैनिक अपने साथी से कहता है 
साथी घर जाकर मत कहना, संकेतों में बतला देना। 
यदि हाल मेरी माता पूछें तो, जलता दीप बुझा देना। 
इतने पर भी वो ना समझे तो, दो आंसू तुम छलका देना। 
यदि हाल मेरी बहना पूछे तो, सूनी कलाई दिखा देना। 
इतने पर भी वो ना समझे तो, राखी तोड़ दिखा देना। 
यदि हाल मेरी पत्नी पूछे तो, मस्तक तुम झुका देना। 
इतने पर भी वो ना समझे तो, मांग का सिन्दूर मिटा देना। 
यदि हाल मेरा पापा पूछे तो, हाथों को सहला देना। 
इतने पर भी वो ना समझे तो, लाठी तोड़ दिखा देना। 
यदि हाल मेरा बेटा पूछे तो, सर उसका सहला देना। 
इतने पर भी वो ना समझे तो, सीने से उसको लगा देना। 
यदि हाल मेरा भाई पूछे तो, खाली राह दिखा देना। 
इतने पर भी वो ना समझे तो, सैनिक धर्म बता देना।।
      Sohil raza Amit Kumar Shaw Ranbir Ranjan Parveen Manish Kumar
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