अंकुरित हुआ सहज ही मन में,, और फिर किया भर भर स्नेह । शनैः शनैः पल्लवित हुआ यूँ ,, अर्पित हो बढ़ता गया ये नेह ।। सब कुछ हुआ समर्पित तुम पर,, स्नेहिल में ही बसती मन देह ।। जब एक दूजे में हुए समाहित ,, संग संग रहते हैं बिन गेह ।। मेरी खुशियों के घर आंगन तुम हो ,, मिलता ही रहे सदा ये स्नेह ।। 💖💖💖 ©SEEMA SINGH #Ray