भारतीय संस्कृति को संजोता है,"कुम्भ" नस्वर शरीर के सभी रोगों को धोता है,"कुम्भ" ईश्वर के चेतना को खुद में पिरोता है,"कुम्भ" अध्यात्म का एक सुंदर परिचय देता है,"कुम्भ" अब इसके इतिहास से परिचय करवाता हूँ, समस्त सनातनी सभ्यता की बात बताता हूँ, गरूड़ जब समुद्र से अमृत ले भागे थे, गिरे तब चार बूंद धरती पर, तभी नासिक,उज्जैन,हरिद्वार सहित प्रयाग के भी भाग जागे थे.... तीरथों में प्रयाग का राज हुआ, त्रिवेणी के संगम पर उसका अनुराग हुआ, गंगा मलमल बहती,यमुना कलकल बहती, पाताल में सरस्वती का बास हुआ, हिमालय सें अपनें साथ औषधी लाती हैं गंगा, इसका ऋषियों को एहसास हुआ.... ज्योतिष विद्या सुर्य को मकर राशी से, बारह वर्षों के बाद कुम्भ में प्रवेश कराती है, जो कुंभ स्नान की याद दिलाती है, जो कुंभ स्नान की याद दिलाती है..... इस पावन छटा के दर्शन करनें, समस्त सनातन प्रेमी प्रयाग को आतें हैं, रोग:दोष दूर और देश की समृद्धि के खातिर, पावन त्रिवेणी में कुंभ डुबकी लगातें हैं, इसके महिमा कि करता हूँ बखान, गर्व है हमारे आस्था रिती-रिवाज पर, जो विश्व में सनतान को अलग सा पहचान दिलातें हैं.... रोग:दोष दूर और देश की समृद्धि के खातिर, पावन त्रिवेणी में कुंभ डुबकी लगातें हैं, समस्त वैज्ञानिक दृष्टिकाया तो, हमारे रिवाजों से ही घायल है, अब तो विज्ञान भी हमारे सनातन धर्म पे कायल है, कुंभ के समस्त नियमों को विज्ञान ने सही पाया है, बारह वर्षो में सुर्य से निकलती अपचायक किरणें, जिससे बचने लिए कुंभ स्नान को सही ठहराया है...!! -Sp"रूपचन्द्र" द कुम्भ