कृष्ण कन्हैया मोरे द्वार कब आओगे भक्तों में अपने सबसे पहले मुझे पाओगे कृष्ण कन्हैया मोरे द्वार कब आओगे बांसुरी की धुन बजाऊं तेरे लिए माखनलाल लाऊं तेरी भोली सूरत पे कान्हा मैं यू बलिहारी जाऊं आकर कब मेरा तुम माखन खाओगे कृष्ण कन्हैया मोरे द्वार कब आओगे दर्शन तेरे मैं पाऊं लीला तेरी मैं गाऊं तेरी बांसुरी की धुन में कान्हा मैं झूम जाऊं जाऊं बनाकर सुदामा मुझको कब गले लगाओगे कृष्ण कन्हैया मोरे द्वार कब आओगे आओगे भक्तों में अपने सबसे पहले मुझे पाओगे कृष्ण कन्हैया मोरे द्वार कब आओगे रचयिता :- बलवंत सिंह रौतेला सहायक अध्यापक - एल. टी. रा. उ. मा. वि. ओखलढुंगा कोटाबाग (नैनीताल)