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सीता राम चरित अति पावन। मधुर सरस अरु अति मनभावन।।

सीता राम चरित अति पावन।
 मधुर सरस अरु अति मनभावन।।
पुनि पुनि चितये ही सुनये सुनाए।
हिय की प्यास बुझत न बुझाए।।
मंगल भवन अमंगल हारी।
द्रवहु सु दसरथ अजीर बिहारी।।
सिया राम मय सब जग जानी।
करहूं प्रणाम जोरी जुग पाणी।।
विश्वनाथ मम नाथ पुरारी।
त्रिभुवन महिमा विदित तुम्हारी।।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  # चौपाई