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गुरूजी गुरु वही है जो आपका आपसे पहचान करा दे, एक

गुरूजी

गुरु वही है जो आपका आपसे पहचान करा दे,
एक मामूली सी पत्थर में भी भगवान त्रास दे।
आप ही तो हो जिन्होंने मुझे जीना सिखलाया,
इस जीवन का उद्देश्य बतलाया ।

मैं एक नासमझ, नादान था जिसको आपने सही राह दिखाया,
हमेशा अच्छे - बुरों का पाठ - पढ़ाया ।
और अपना - पराया का भेद मिटाया,
आप ही हो जिन्होंने मुझे जीना सिखाया ।

गलती करने पर आपका डाँटना,
और फिर बैठा कर समझाना।
शाम के समय जीवन रूपी समस्याओं पर आपका प्रकाश डालना ।
माँ से दिन भर की घटनाओं वर्नन करना,
बहुत याद आती है आज ।

जीवन रूपी कठिन से कठिन समस्या का एक आसान सा हल था आपके पास,
जो मेरे लिए था बहुत खास ।
अमरुद रूपी प्रसाद का वो मिठास,
बहुत याद आती है आज ।

आपने ही मुझे जीवन का मर्म बतलाया,
हर नर में नारायण का आभास कराया।
आपने ही विज्ञान में आध्यातम् समझाया,
मुझे खुद को ही खुद से मिलवाया ।

मैं हूँ कौन आपने बतलाया,
कर्म, विकर्म और अकर्म का पाठ - पढ़ाया ।
गीता, कुरान और बाईबल का ज्ञान करवाया,
मुझे खुद को ही खुद से मिलवाया ।

आपने ही जीवन में रिश्तों का महत्व बतलाया,
धर्म के राहों पर चलना सिखलाया ।
जीवन में दूसरों को देने का पाठ - पढाया,
संसार रूपी जीवन से मुक्ति का द्वार दिखलाया ।

                             शिष्य - मालीग्राम गुरूजी
गुरूजी

गुरु वही है जो आपका आपसे पहचान करा दे,
एक मामूली सी पत्थर में भी भगवान त्रास दे।
आप ही तो हो जिन्होंने मुझे जीना सिखलाया,
इस जीवन का उद्देश्य बतलाया ।

मैं एक नासमझ, नादान था जिसको आपने सही राह दिखाया,
हमेशा अच्छे - बुरों का पाठ - पढ़ाया ।
और अपना - पराया का भेद मिटाया,
आप ही हो जिन्होंने मुझे जीना सिखाया ।

गलती करने पर आपका डाँटना,
और फिर बैठा कर समझाना।
शाम के समय जीवन रूपी समस्याओं पर आपका प्रकाश डालना ।
माँ से दिन भर की घटनाओं वर्नन करना,
बहुत याद आती है आज ।

जीवन रूपी कठिन से कठिन समस्या का एक आसान सा हल था आपके पास,
जो मेरे लिए था बहुत खास ।
अमरुद रूपी प्रसाद का वो मिठास,
बहुत याद आती है आज ।

आपने ही मुझे जीवन का मर्म बतलाया,
हर नर में नारायण का आभास कराया।
आपने ही विज्ञान में आध्यातम् समझाया,
मुझे खुद को ही खुद से मिलवाया ।

मैं हूँ कौन आपने बतलाया,
कर्म, विकर्म और अकर्म का पाठ - पढ़ाया ।
गीता, कुरान और बाईबल का ज्ञान करवाया,
मुझे खुद को ही खुद से मिलवाया ।

आपने ही जीवन में रिश्तों का महत्व बतलाया,
धर्म के राहों पर चलना सिखलाया ।
जीवन में दूसरों को देने का पाठ - पढाया,
संसार रूपी जीवन से मुक्ति का द्वार दिखलाया ।

                             शिष्य - मालीग्राम गुरूजी