श्याम की मुरली बजी ,राधा की पायल बजी | छनन छनन छनन छनन पायल बजी | चली कान्हा को ढूंढन ,राधा घर से चली | कुंज गलियों में राधा , संग सखियों के चली | ढूंढा गली -गली गली -गली ,पर खबर न मिली | चली कान्हा को ढूंढन ,राधा घर से चली | सोंच कर ये राधा ,बड़ी हैरत में पड़ी | है मुसीबत बड़ी ,जो मैं इसके प्रेम में पड़ी | सुनी मुरली की धुन , आती पनघट से मिली | छोड़ गलियों को राधा , तब पनघट को चली | श्याम की वो दीवानी , श्याम को जब मिली | उस मुरली की धुन में ,जब श्याम की राधा मिली| अब तो दोनों की आँखों से ,प्रेम की अश्रु धारा चली | श्याम की मुरली बजी ,राधा की पायल बजी | छनन छनन छनन छनन पायल बजी || जन्माष्टमी पे राधा श्याम की खोज मे चली #