Nojoto: Largest Storytelling Platform

साजन। (अनुशीर्षक पढ़ें) दिन भर बिजली का कुछ पता न

साजन।

(अनुशीर्षक पढ़ें) दिन भर बिजली का कुछ पता नहीं था और जब हुआ तो मैं घर के काम में इतना व्यस्त हो गई की खुद स्नान करने का समय ही नहीं मिला। रात के 11 बज रहे होंगे घर के पीछे आंगन में मैने पहले ही अपने स्नान की व्यवस्था कर रखी थी और उस वक्त वहां कोई होता भी नही इसलिए मैने वहीं स्नान करने का सोचा। पर तब भी,मैने अपनी तसल्ली के लिए छत पर टीन शेड रख दिया और चारों ओर पर्दे लगा दिए। अब मैं निश्चिंत थी और मैं उस छोटे से स्नानघर जो मैने अभी अभी बनाया था उसमे जाकर बैठ गई। नग्न होकर मैं एक पीतल के पात्र से अपने शरीर पर पानी डाल रही थी,जैसे ही पानी मेरी गर्दन से होकर कंधो तक, और कंधो से स्तन तक, ऐसा लगा जैसे दिन भर की थकान मिट रही है। फिर पेट से योनि और जांघों से पैर की उंगलियों तक मैं पानी डाल रही थी कुछ देर यही प्रक्रिया करने के बाद एक आवाज आई,"अरे कहां हो देखो तुम्हारे लिए तुम्हारी मन पसंद मिठाई लाया हूं।" मैं मुस्कुराई और मन ही मन सोचने लगी कि ये भी ना,मैने तो ऐसे ही कहा था कि मुझे मीठा खाना है यह तो सच में ले आए वो भी इतनी रात गए। 
मैने हंसते हुए कहा,"अरे वाह सुन ली आपने मेरी, अच्छा तनिक रुक जाइए मैं स्नान कर के आती हूं।" वह बोले,"जैसा आप कहें महारानी।" मैं फिर मुस्कुराई।

अब मैं बदन पर साबुन मलने लगी गर्दन से होते हुए स्तन तक, मैं उन्हें मालिश देने लगी , बहुत अच्छा और आराम मिल रहा था मुझे। अब मैं पेट पर साबुन मल रही थी, नाभि पर हल्के हाथों से घुमा रही थी। जांघों से होते हुए पैरो और पंजों पर मल रही थी कि पीछे से एक  और आवाज आई,"अरे लगता है आज इन्हे मिठाई नही खानी,मैं ही खा जाऊं क्या सब।" इनका सबसे पसंदीदा काम, मुझे बस चिढ़ाते रहना मैं हंसने लगी और बोली, मुझे पता है आप मेरे बिना नहीं खाने वाले,बस 5 मिनट और,आ हीरही हूं मैं।"
"हां बाबा जल्दी आओ।"
मैं पैरो को उंगलियों को मलने लगी, अब मैं पीठ पर साबुन लगा रही थी पर वह मुश्किल हो रहा था मेरे लिए।

साजन (कमरे से निकल कर आंगन में आ पहुंचे और मुझे एक टक देखे जा रहे थे)
साजन।

(अनुशीर्षक पढ़ें) दिन भर बिजली का कुछ पता नहीं था और जब हुआ तो मैं घर के काम में इतना व्यस्त हो गई की खुद स्नान करने का समय ही नहीं मिला। रात के 11 बज रहे होंगे घर के पीछे आंगन में मैने पहले ही अपने स्नान की व्यवस्था कर रखी थी और उस वक्त वहां कोई होता भी नही इसलिए मैने वहीं स्नान करने का सोचा। पर तब भी,मैने अपनी तसल्ली के लिए छत पर टीन शेड रख दिया और चारों ओर पर्दे लगा दिए। अब मैं निश्चिंत थी और मैं उस छोटे से स्नानघर जो मैने अभी अभी बनाया था उसमे जाकर बैठ गई। नग्न होकर मैं एक पीतल के पात्र से अपने शरीर पर पानी डाल रही थी,जैसे ही पानी मेरी गर्दन से होकर कंधो तक, और कंधो से स्तन तक, ऐसा लगा जैसे दिन भर की थकान मिट रही है। फिर पेट से योनि और जांघों से पैर की उंगलियों तक मैं पानी डाल रही थी कुछ देर यही प्रक्रिया करने के बाद एक आवाज आई,"अरे कहां हो देखो तुम्हारे लिए तुम्हारी मन पसंद मिठाई लाया हूं।" मैं मुस्कुराई और मन ही मन सोचने लगी कि ये भी ना,मैने तो ऐसे ही कहा था कि मुझे मीठा खाना है यह तो सच में ले आए वो भी इतनी रात गए। 
मैने हंसते हुए कहा,"अरे वाह सुन ली आपने मेरी, अच्छा तनिक रुक जाइए मैं स्नान कर के आती हूं।" वह बोले,"जैसा आप कहें महारानी।" मैं फिर मुस्कुराई।

अब मैं बदन पर साबुन मलने लगी गर्दन से होते हुए स्तन तक, मैं उन्हें मालिश देने लगी , बहुत अच्छा और आराम मिल रहा था मुझे। अब मैं पेट पर साबुन मल रही थी, नाभि पर हल्के हाथों से घुमा रही थी। जांघों से होते हुए पैरो और पंजों पर मल रही थी कि पीछे से एक  और आवाज आई,"अरे लगता है आज इन्हे मिठाई नही खानी,मैं ही खा जाऊं क्या सब।" इनका सबसे पसंदीदा काम, मुझे बस चिढ़ाते रहना मैं हंसने लगी और बोली, मुझे पता है आप मेरे बिना नहीं खाने वाले,बस 5 मिनट और,आ हीरही हूं मैं।"
"हां बाबा जल्दी आओ।"
मैं पैरो को उंगलियों को मलने लगी, अब मैं पीठ पर साबुन लगा रही थी पर वह मुश्किल हो रहा था मेरे लिए।

साजन (कमरे से निकल कर आंगन में आ पहुंचे और मुझे एक टक देखे जा रहे थे)
bhoomianand1627

Bhoomi Anand

New Creator