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खर्च किए चंद सिक्को के लिए मुझे मेरी औकात बताने ल

 खर्च किए चंद सिक्को के लिए मुझे मेरी औकात बताने लग गए,,
घुटने लगा दम मेरा तुम्हारे साथ तो प्यार का दर्द बताने लग गए।।
जब नहीं था बस में तो हाथ थामा क्यों था,,,
अब नहीं होता रोज रोज का बर्दाश्त तुम्हारा नाटक 
कह कर मुझे सिरदर्द बताने लग गए।।
मेरा दर्द औरत की किस्मत,
खुद को लगी खरोच तो मुझे हमदर्द बताने लग गए।।
पहले प्यार बड़ा आता था मुझपर,,,
क्यूं फिर अब बेदर्द बताने लग गए।।
क्या सिर्फ खता मेरी थी,,
 आत्म सम्मान किया जलील हमेशा यही सजा मेरी थी।।
नारी हो तुम संयम में रहना हैं,
नारी हो तुम एक शब्द अन्यथा नही कहना हैं।।
मेरे अपनों का सम्मान करो,,
घर में रखा तुम्हे इस पर अभिमान करो।।
भूल जाओ मायका  जिसे छोड़ के आई हो,,
हमारा सुख दुख हुआ तुम्हारा, यही बियाह के आई हो।।

©KAJAL The poetry writer
  खर्च किए चंद सिक्को के लिए मुझे मेरी औकात बताने लग गए,,
घुटने लगा दम मेरा तुम्हारे साथ तो प्यार का दर्द बताने लग गए।।
जब नहीं था बस में तो हाथ थामा क्यों था,,,
अब नहीं होता रोज रोज का बर्दाश्त तुम्हारा नाटक 
कह कर मुझे सिरदर्द बताने लग गए।।
मेरा दर्द औरत की किस्मत,
खुद को लगी खरोच तो मुझे हमदर्द बताने लग गए।।
पहले प्यार बड़ा आता था मुझपर,,,

खर्च किए चंद सिक्को के लिए मुझे मेरी औकात बताने लग गए,, घुटने लगा दम मेरा तुम्हारे साथ तो प्यार का दर्द बताने लग गए।। जब नहीं था बस में तो हाथ थामा क्यों था,,, अब नहीं होता रोज रोज का बर्दाश्त तुम्हारा नाटक कह कर मुझे सिरदर्द बताने लग गए।। मेरा दर्द औरत की किस्मत, खुद को लगी खरोच तो मुझे हमदर्द बताने लग गए।। पहले प्यार बड़ा आता था मुझपर,,, #कविता

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