आसमान में सब तारे टिमटिमाते तो अच्छा होता अपनी रोशनी बिखेर फलक पर जगमगाते तो अच्छा होता क्यों है कुछ तारों की नसीब में गर्दिश में चले जाना चमकते चमकते सब अपना मुकाम पाते तो अच्छा होता कुछ क्रूर ग्रहों की छाया जो ना पङती उन पर जीवन में अपने सब सपने सच कर जाते तो अच्छा होता कहां नसीब हो पाती हैं हर शख्स को मनचाही मंजिलें मुकाम ही खुद रास्ते बनाते तो अच्छा होता कब तक अपनी पीड़ा को यूं ही शब्दों में बयां करेंगे *अनु* लफ्जों के तीर दिल के पार हो जाते तो अच्छा होता ©Anita Agarwal अच्छा होता