शीर्षक - अपने बच्चों का नाम लिखावो स्कूल में ----------------------------------------------------------- (शेर)- पढ़ने की है उम्र इनकी, इनको स्कूल भेजो तुम। मजदूरी इनसे करवाकर, नहीं जीवन बिगाड़ो इनका तुम।। नाम लिखवाओ स्कूल में इनका, नहीं दूर बहुत है स्कूल। पढ़ा-लिखाकर अपने बच्चों की, जिंदगी सँवारो तुम।। ------------------------------------------------------------ सुन रे भैया, सुन री भाभी/सुन रे काका,सुन री काकी// अपने बच्चों का नाम, लिखावो स्कूल में। अपने बच्चों को, पढ़ने भेजो स्कूल में।। सुन रे भैया, सुन री भाभी/---------------------// अपने बच्चों का नाम------------------।। मजदूरी की उम्र इनकी, अभी नहीं है। शादी की भी उम्र इनकी, अभी नहीं है।। पढ़ने-लिखने की उम्र है, अभी इनकी। शिक्षित बनने को, इनको भेजो स्कूल में।। सुन रे दादा,सुन री दादी/सुन रे भैया,सुन री भाभी// अपने बच्चों का नाम------------------।। पढ़-लिखकर ही चांद पर, पहुंचा है मानव। जिला कलेक्टर, एसपी, बना है मानव।। पढ़-लिखकर ही बनता है,मानव वैज्ञानिक। बनने को डॉक्टर, बच्चे भेजो स्कूल में।। सुन रे ताऊ,सुन री ताई/सुन रे भैया, सुन री भाभी// अपने बच्चों का नाम------------------।। दूर नहीं, नजदीक है, सरकारी स्कूल। नहीं लेता है कोई फीस, सरकारी स्कूल।। फ्री पुस्तकें, मिड डे मील, योग्य शिक्षक है। मिलती है बहुत सुविधा, सरकारी स्कूल में।। सुन री बहिना, सुन री मौसी/सुन रे भैया,सुन री भाभी// अपने बच्चों का नाम------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार- गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #अपने बच्चों के नाम लिखावो स्कूल में