तू ना समझा मुझे कोई शिकवा नहीं, तेरी फितरत से वाकिफ हूं कोई गिला नहीं ! जा समझा लेंगे खुद को कि तू नादान था , क्या परखता मुझे तू तो बेईमान था ! फिर भी मिल जाए राहों में तो परवाह नहीं, संग तो चलेंगे पर ,बनके हमराह नहीं ! रही मुकद्दर -ए-हयात तो पूछूंगा मैं, क्या पाया है तूने मुझे खोने के बाद ? मिला भी कहीं ,कोई अनवर तुझे, मुझसे यूं ,मुंह चुरा लेने के बाद..! अनवर हुसैन अणु भागलपुरी ©Anwar Hussain Anu Bhagalpuri #अनवर