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शखों पे नई पत्तियां पुलकित हो उठी है, नए रंग की चा

शखों पे नई पत्तियां पुलकित हो उठी है,
नए रंग की चादर फिर से पड़ चुकी है,
कहीं बागों में बहके भवरों की गूंज है,
तो कहीं टपकती पहली ओस की बूंद है,
ठंड की मस्त सुहानी पहर चड़ चुकी है,
पत्तों पे ये डाली शायद मेरे लिए झुकी है,
बैठ डाल पर मन मयूर सा हो जाता है,
ये किसी और मौसम में कहां नजर आता है,
अभी तो ठंड की पहली बयार चली है,
और गर्म कपड़े की बक्से धूप में पड़ी है,
इस बार की सर्दी बड़ा सताएगी हम सबको,
आओ इसके लिए भी करे शुक्रिया रब को,
मौसम का रंग ही परिवर्तनशील होता है,
फिर क्यों तू गुजरे एक मौसम को रोता है,
शरद बीत चुकी अब शीत को आने दो,
हर मौसम को नया मौसम बन जाने दो। सर्दी के मौसम ने आवाजाही शुरू कर दी है। सुबह शाम की हल्की हल्की ठंड का जादू अलग ही होता है। दिल किसी फूल के मानिंद खिल उठता है। 

सर्दी का स्वागत करें अपनी कविता के माध्यम से।

Collab करें YQ DIDI के साथ।

#नयामौसम 
#collab
शखों पे नई पत्तियां पुलकित हो उठी है,
नए रंग की चादर फिर से पड़ चुकी है,
कहीं बागों में बहके भवरों की गूंज है,
तो कहीं टपकती पहली ओस की बूंद है,
ठंड की मस्त सुहानी पहर चड़ चुकी है,
पत्तों पे ये डाली शायद मेरे लिए झुकी है,
बैठ डाल पर मन मयूर सा हो जाता है,
ये किसी और मौसम में कहां नजर आता है,
अभी तो ठंड की पहली बयार चली है,
और गर्म कपड़े की बक्से धूप में पड़ी है,
इस बार की सर्दी बड़ा सताएगी हम सबको,
आओ इसके लिए भी करे शुक्रिया रब को,
मौसम का रंग ही परिवर्तनशील होता है,
फिर क्यों तू गुजरे एक मौसम को रोता है,
शरद बीत चुकी अब शीत को आने दो,
हर मौसम को नया मौसम बन जाने दो। सर्दी के मौसम ने आवाजाही शुरू कर दी है। सुबह शाम की हल्की हल्की ठंड का जादू अलग ही होता है। दिल किसी फूल के मानिंद खिल उठता है। 

सर्दी का स्वागत करें अपनी कविता के माध्यम से।

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