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"मुद्दत से वीरान पढ़ी है, दिल की हवेली घर पुरानी

"मुद्दत से वीरान पढ़ी है, दिल की हवेली
 घर पुरानी यादों ,के जालों ने बना दिया,
 देख रही रास्ता,तरसती आंखों से ,दहलीज
 हवेली की ,की कोई आकर उन जालों को 
हटा ले,एक बार फिर से वीरान पड़ी दिल
की इस हवेली को सजा ले "

©पथिक
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