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"बचपन के रंग" आज फिर वो बचपन के दिन याद आते हैं।

"बचपन के रंग"

आज फिर वो बचपन के दिन याद आते हैं। 
भीगी बारिश के वो बौछारे, वो मौसम याद
आते हैं। 

कैसे बचपन के गीत, यूँही मौसम के तरानो
में उड़ेलना। 
वो लड़कपन की मस्तियाँ, जैसे बादल की 
तरंगों में, कोई ख़त लिखना। 

वो सावन, वो हरियाली, वो हर एक मंज़र 
यूँही चले आते है। 
जैसे सावन के तराने, कोई गीत गुनगुनाते हैं। 

जब भी लिखती हूँ मैं कोई गीत, यूँही मेरे 
गीतों में वो सारे रंग नज़र आते हैं। 
आज फिर वो बचपन के दिन याद आते हैं। 

#SuchitaPandey

#सुचितापाण्डेय 


 #बचपनकेरंग #मेरीकविता #मेरीडायरीकीपहलीकविता 
#सुचिता #suchitapandey 
"बचपन के रंग"

आज फिर वो बचपन के दिन याद आते हैं। 
भीगी बारिश के वो बौछारे, वो मौसम याद
आते हैं।
"बचपन के रंग"

आज फिर वो बचपन के दिन याद आते हैं। 
भीगी बारिश के वो बौछारे, वो मौसम याद
आते हैं। 

कैसे बचपन के गीत, यूँही मौसम के तरानो
में उड़ेलना। 
वो लड़कपन की मस्तियाँ, जैसे बादल की 
तरंगों में, कोई ख़त लिखना। 

वो सावन, वो हरियाली, वो हर एक मंज़र 
यूँही चले आते है। 
जैसे सावन के तराने, कोई गीत गुनगुनाते हैं। 

जब भी लिखती हूँ मैं कोई गीत, यूँही मेरे 
गीतों में वो सारे रंग नज़र आते हैं। 
आज फिर वो बचपन के दिन याद आते हैं। 

#SuchitaPandey

#सुचितापाण्डेय 


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#सुचिता #suchitapandey 
"बचपन के रंग"

आज फिर वो बचपन के दिन याद आते हैं। 
भीगी बारिश के वो बौछारे, वो मौसम याद
आते हैं।