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मेरी बेचैन ज़िन्दगी का कुसूरवार हो तुम मेरे अश्क

मेरी  बेचैन ज़िन्दगी का 
कुसूरवार हो तुम

मेरे अश्कों के बहने का
सबब हो तुम 

बागो से मेरा पता तुमने ही
ने पुछा था ना

मै निखत थी गुलाब की
मुझे फूल से जुदा करने
 वाले भी तुम

कहा था की मै मरीज़ ए दिल हु
मुझे सहारा दो
और खुद तंदुरुस्त हो कर मुझे
बीमार करने वाले भी तुम

©NIKHAT (दर्द  मेरे अपने है )
  #Sahara