बेजुबान भी बोलने लगते है आपका सहारा पाकर हम जख्म समझ जाते है आसूँ का इशारा पाकर हँस लेते है हम भी किसी और के लिए वर्ना कौन खुश होता है जिंदगी से घसारा पाकर अनेकान्त जैन आदित्य बेजुबान जख्म