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गर रात ना होती,,, क्या होता , रात में भागे उन , भ

गर रात ना होती,,,

क्या होता , रात में भागे उन , भगोड़ों का,
            गर रात ना होती ।
क्या होता , मुसाफिरों के , सुबह से शाम, तक ,
 चल रहे , उन घोड़ों का ,
                             गर रात ना होती ।।
क्या होता ,  अकेले में मिलते उन आशिक़ जोड़ों का,
                  गर रात ना होती ।
क्या होता उन चोरों का ,
              गर रात ना होती ,,,,,,,,
क्या होता ,तारे गिनकर , वक़्त गुजारती , माही से , बिछड़ी , उन हूरों का ,
             गर रात ना होती ।।
क्या होता , महनत कश , उन मजदूरों का ,
               गर रात ना होती ।
बिछड़े हुए यारों की शांत ,याद ना होती 
      गर रात ना होती ,
चांदनी रातों , में , ख़ुद से , बात ना होती ,
                    गर रात ना होती ।
नींद किसी की , आंख ना होती , गर रात ना होती ,
निकाह की ,वो पहली रात ,वो सुहागरात ना होती ,
              गर रात ना होती ।।
जगते जुगनुओं की ,कोई विसात ना होती ,
               गर रात ना होती ,
महाभारत में , सूर्यपुत्र करन की , मात ना होती ,
                 गर रात ना होती ।।
और फकीरों को ए #काफ़िर जोगा गुलाम# 
          "रूहानी मयखाने" की खैरात ना होती ,
               गर रात ना होती ।।
अपने यार से ," जोगा" अंदर से , उस कलंदर से ,
       मुलाक़ात ना होती ,
                 गर रात ना होती ।।
ZOGA BHAGSARIYA RAJASTHANI ,
           KAFIR ZOGA GULAM .......... Parmjit Kaur Rashima Sukh Charu Gangwar Sobhya Gupta Soumen Kundu
गर रात ना होती,,,

क्या होता , रात में भागे उन , भगोड़ों का,
            गर रात ना होती ।
क्या होता , मुसाफिरों के , सुबह से शाम, तक ,
 चल रहे , उन घोड़ों का ,
                             गर रात ना होती ।।
क्या होता ,  अकेले में मिलते उन आशिक़ जोड़ों का,
                  गर रात ना होती ।
क्या होता उन चोरों का ,
              गर रात ना होती ,,,,,,,,
क्या होता ,तारे गिनकर , वक़्त गुजारती , माही से , बिछड़ी , उन हूरों का ,
             गर रात ना होती ।।
क्या होता , महनत कश , उन मजदूरों का ,
               गर रात ना होती ।
बिछड़े हुए यारों की शांत ,याद ना होती 
      गर रात ना होती ,
चांदनी रातों , में , ख़ुद से , बात ना होती ,
                    गर रात ना होती ।
नींद किसी की , आंख ना होती , गर रात ना होती ,
निकाह की ,वो पहली रात ,वो सुहागरात ना होती ,
              गर रात ना होती ।।
जगते जुगनुओं की ,कोई विसात ना होती ,
               गर रात ना होती ,
महाभारत में , सूर्यपुत्र करन की , मात ना होती ,
                 गर रात ना होती ।।
और फकीरों को ए #काफ़िर जोगा गुलाम# 
          "रूहानी मयखाने" की खैरात ना होती ,
               गर रात ना होती ।।
अपने यार से ," जोगा" अंदर से , उस कलंदर से ,
       मुलाक़ात ना होती ,
                 गर रात ना होती ।।
ZOGA BHAGSARIYA RAJASTHANI ,
           KAFIR ZOGA GULAM .......... Parmjit Kaur Rashima Sukh Charu Gangwar Sobhya Gupta Soumen Kundu