सावन आया। मनभावन आया। मिलकर सब झूला झूलें। नील गगन को छू लें। पींगे खूब बढ़ाएं । आकाश को चूम आएं। कल फिर न आएगा मनभावन सावन। अतीत की यादों में खो जाएंगे दिल को बहुत रूलााएगा बीता सुन्दर सावन। कविः-शैलेन्द्र सिंह यादव #gif शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता मनभावन सावन।