चाहता है मनोगुरु भी , बहिन को पढ़ाना चहारदीवारी से बाहर , बहिन को घुमाना अपनी ही तरह , उसे दुनिया दिखाना सानिया , सिंधू , किरण बेदी और गीता ,बबिता बनाना कल्पना चावला की तरह , चाँद पर पहुंचाना हाँ सपना है मेरा , उसे जाने जमाना पर.. कल वो बोली कि - "भैया मैं बड़ी हो रही हूँ" मासूम हूँ मायूस और सहमी खड़ी रो रही हूँ डर है उसे भी बेहद , अब तुमसे... क्यूँकि चाहता है भैया , जिस बहिन को पढ़ाना गर हो सके तो उसको यूँ , नोंच मत खाना... चाहता ये भाई उस बहिन को हंसाना पर डर है कि कहीं , बन जाये ना निशाना मनोगुरु चाहता है मनोगुरु भी , बहिन को पढ़ाना चहारदीवारी से बाहर , बहिन को घुमाना अपनी ही तरह , उसे दुनिया दिखाना सानिया , सिंधू , किरण बेदी और गीता ,बबिता बनाना कल्पना चावला की तरह , चाँद पर पहुंचाना हाँ सपना है मेरा , उसे जाने जमाना पर.. कल वो बोली कि - "भैया मैं बड़ी हो रही हूँ"