हर किसी को उस शख्स से मोहब्बत हो सकता है जो मेरी जरूरत है वो सबकी जरूरत हो सकता है पर न जाने क्यों हर कोई मोलभाव में परेसान है उसे देखकर बतलाओ क्या उसका कोई कीमत हो सकता है चाँद तभी से छिपता फिर रहा जब से उसे पता चला है कोई उससे भी ज्यादा खूबसूरत हो सकता है एक बार उसकी नज़रो के धार से जख्म लेकर देखो बड़े बड़े सल्तनतों से बगावत हो सकता है हमे भी तो इश्क़ के ताकतों का अंदाज़ा नही था हमे कहा पता था हमारा ऐसा नौबत हो सकता है हमे हज की ख्वाहिश बेवजह थी शायद घूँघट उठा कर भी खुदा का ज़ियारत हो सकता है (क्षत्रियंकेश) घूँघट