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न अल्फ़ाज़ शेष है, न कलम में स्याही, पन्ना भी बिखर

न अल्फ़ाज़ शेष है,
न कलम में स्याही,
पन्ना भी बिखर गया,
और "रेप" जीत गया।।
हां, वो लड़की थी,
हारती वो कहां,
छल से हरा दिया।
मानमर्दित कर,
हवस से अलंकरण कर,
तूने जिंदगी उजाड़ दिया।
हां, वो लड़की थी,
अकेले थी, मानों तेरी वस्तु थी,
उसे अपना निशाना बना लिया,
देखते ही देखते जिंदगी उजाड़ दिया।
आखिर कब तक अल्फाजों की गंगा बहेगी ?
आखिर कब कैंडल का शोर थमेगा ?
आखिर कब बदलेगी मानसिकता ?
या, केवल कैंडल की दुकान बढ़ा दिया ?
आखिर,
अब न लिखने को अल्फ़ाज़ शेष है,
ना मेरी कलम में स्याही।

©Saurav life #Stoprape 
#Sauravlife
न अल्फ़ाज़ शेष है,
न कलम में स्याही,
पन्ना भी बिखर गया,
और "रेप" जीत गया।।
हां, वो लड़की थी,
हारती वो कहां,
छल से हरा दिया।
मानमर्दित कर,
हवस से अलंकरण कर,
तूने जिंदगी उजाड़ दिया।
हां, वो लड़की थी,
अकेले थी, मानों तेरी वस्तु थी,
उसे अपना निशाना बना लिया,
देखते ही देखते जिंदगी उजाड़ दिया।
आखिर कब तक अल्फाजों की गंगा बहेगी ?
आखिर कब कैंडल का शोर थमेगा ?
आखिर कब बदलेगी मानसिकता ?
या, केवल कैंडल की दुकान बढ़ा दिया ?
आखिर,
अब न लिखने को अल्फ़ाज़ शेष है,
ना मेरी कलम में स्याही।

©Saurav life #Stoprape 
#Sauravlife
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Saurav life

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