अपनेपन को तलाशते रहे ,कारवां चलता रहा, एहसास भी ना कर पाये ,सब धूमिल हो गया , कश्ती चलती रही ,किनारा निकल गया , काश हम समझ पाते ,यही तो जीवन हैं l सुमन मलिक #jeewan ki satyata