आज हमको किसी भी प्रश्न का हल ढूंढना हो तो इंटरनेट है ना! शिक्षा,चिकित्सा,तकनीकी,वाणिज्य,या साहित्य कुछ भी हो। हम कुछ सेकंड्स में ही यथा स्थान जानकारी प्राप्त कर लेते है। इसी जानकारी के भरोसे चल पड़ते है ख़ुद को साबित करने। जीवन के दृष्टिकोण व्यापक हैं अथवा संकीर्ण,समय का पाबंद, विनम्र,धैर्यवान आदि गुण संपन्न है अथवा नहीं यह जरूरी नही। आज कल विद्यार्थी कई अर्थो में शिक्षक से अघिक जानता है। अत: उसका श्रद्धालु होना बहुत कठिन है।वह जागरूक है, विषय के प्रति,किन्तु विषय को जीवन का अंग नहीं मानता। अत: मूल्यों के बारे में चिन्ता मुक्त स्वभाव से स्वच्छन्द और विस्मय में भी है। इसी विस्मय के कारण सही समय पर सही निर्णय नही ले पाता अपने साथ अपनों का भी अहित करता है। यह समझे बिना कि भीतर की और बाहर की जीवनशैली को संतुलित किए बिना वह सफल नहीं होगा। : गुरू शिष्य के लिए कार्य नहीं करता। न ही शिष्य के कर्म बन्ध काटता है। गुरू शिष्य के साथ भी नहीं चलता। केवल मार्ग दिखाता है। गुरू ही शिष्य को अद्वितीय होने का रहस्य समझाता है। बाहरी और भीतरी जीवन को संतुलित रखना सिखाता है।