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हादसातों से डर गया हूँ मैं. एक पत्थर पे मर गया हू

हादसातों से डर गया हूँ मैं.
एक पत्थर पे मर  गया हूँ मैं.

और कितना सताएगी दुनियाँ.
आज़ क्या अपने घर गया हूँ मैं.

        #अखलाक साहिर #World_PoetryDay
हादसातों से डर गया हूँ मैं.
एक पत्थर पे मर  गया हूँ मैं.

और कितना सताएगी दुनियाँ.
आज़ क्या अपने घर गया हूँ मैं.

        #अखलाक साहिर #World_PoetryDay