राम नाम से मिट जाता है मन का सारा ही सन्ताप दुनिया में सबसे पावन है राम नाम का ही एक जाप अतुलित रूप मोहिनी सूरत हृदय बड़ा ही है ये विशाल दर्शन से ही कट जाते हैं माया के सारे जंजाल इन चरणों में ही पायेगा रे मूरख तू चारों धाम रट ले हर दम नमामि राम नमामि राम नमामि राम मैं अज्ञानी हूँ अभिमानी मुझसा नहीं कोई अनजान तुम तो करुणा के सागर हो बिनती सुनो कृपा निधान आ जाओ 'उर' में मिट जाये काली अंधियारी ये रात तेरी महिमा से बन जाये बिगड़ी हुई मेरी हर बात पत्थर भी तो तर जाते हैं लिखा हुआ हो हरि का नाम रट ले हर दम नमामि राम नमामि राम नमामि राम जाने कितने मोक्ष मिले हैं पाकर इन चरणों की धूल तेरा जो दर खोज लिया है होगी न अब हमसे भूल हे पुरुषोत्तम रखना हर दम सेवक पर अपना आशीष तुझ पर बलिहारी जाऊँ मैं और झुकाऊँ अपना शीश तेरा ही गुणगान करूँ मैं फूल चढ़ाऊँ सुबहो शाम रट ले हर दम नमामि राम नमामि राम नमामि राम जग के कष्ट हरो हर लो प्राणी के मन की हर माया दुख की धूप मिटे कर दो हर घर में सुख की तुम छाया छल प्रपंच न रहे हृदय को ज्ञान ज्योति से तुम भर दो लालच से है भरा मनुज तुम इसका मन निर्मल कर दो बैर मिटे आपस का और फिर हर घर बने अयोध्या धाम रट ले हर दम नमामि राम नमामि राम नमामि राम #नमामि_राम #manojkumarmanju #manju #hindipoetry #hindiwriters #hindipoem #ram