Nojoto: Largest Storytelling Platform

सूखते सर कूप वापी जलचरी कुंठित विकल है प्राण अवगु


सूखते सर कूप वापी
जलचरी कुंठित विकल है
प्राण अवगुंठित हृदय में
पीयूष रस छलकाओ तुम
झिहिर बरसो मेघ  निर्झर
अज्ञातवास शेष छोड़ आ जाओ तुम।

त्योरियां माथे चढ़ी हैं
वेदना अति व्याप्त जीवन
बीज नभ  के द्वार ताके
कृषक मन हर्षाओ अब तुम
झिहिर बदरा बूंद बरसो
अज्ञातवास शेष छोड़ आ जाओ तुम !

             प्रीति #मेघ बरसो (दूसरी किश्त)
#yqhindi #yqhindikavtia 
सर: तालाब , कूप : कुआं, वापी: छोटे जलाशय  , जलचरी: मछली , पीयूष: अमृत , अवगुंठित:। चारों ओर से घिरा हुआ। अज्ञातवास :  गुप्तवास

सूखते सर कूप वापी
जलचरी कुंठित विकल है
प्राण अवगुंठित हृदय में
पीयूष रस छलकाओ तुम
झिहिर बरसो मेघ  निर्झर
अज्ञातवास शेष छोड़ आ जाओ तुम।

त्योरियां माथे चढ़ी हैं
वेदना अति व्याप्त जीवन
बीज नभ  के द्वार ताके
कृषक मन हर्षाओ अब तुम
झिहिर बदरा बूंद बरसो
अज्ञातवास शेष छोड़ आ जाओ तुम !

             प्रीति #मेघ बरसो (दूसरी किश्त)
#yqhindi #yqhindikavtia 
सर: तालाब , कूप : कुआं, वापी: छोटे जलाशय  , जलचरी: मछली , पीयूष: अमृत , अवगुंठित:। चारों ओर से घिरा हुआ। अज्ञातवास :  गुप्तवास
preetikarn2391

Preeti Karn

New Creator