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रात जो हुई कमलेश ,तारे सज गये गगन में, परियां उतर

रात जो हुई कमलेश ,तारे सज गये गगन में,
परियां उतर आई हों गोया,ख्वाबों के चमन में।

सितारे अनगिन हैं, पर उनमें कोई रंज नहीं यारा
इंसान हजारों फितरतें पाल लेता हैं अपने मन में 
रात जो हुई कमलेश ,तारे सज गये गगन में।

हर एक की चमक कुछ अलग हैं, कुछ खास हैं,
जैसे अलग अलग  पेड़ लगे हों यारा वन मे।
रात जो हुई कमलेश ,तारे सज गये गगन में,

©Kamlesh Kandpal
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