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चेहरे पर चँचल लट उलझी, आँखों में सपन सुहाने हैं।

चेहरे पर चँचल लट उलझी, 
आँखों में सपन सुहाने हैं।
ये वही पुरानी राहें हैं, 
ये दिन भी वही पुराने हैं।
कुछ तुम भूली कुछ मैं भूला,
 मंज़िल फिर से आसान हुई।
हम मिले अचानक जैसे
 फिर पहली पहली पहचान हुई।
आँखों ने पुनः पढी आँखें,
 न शिकवे हैं न ताने हैं।
चेहरे पर चँचल लट उलझी, 
आंखों में सपन सुहाने हैं।

©erakash21
  #सपन