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#OpenPoetry फिर से कलम पर, ज़िम्मेदारी आई जब , फिर

#OpenPoetry  फिर से कलम पर,
ज़िम्मेदारी आई जब ,
फिर अदालत में सुनवाई कि बारी आई।
महोब्बत कटगरे में खड़ी थी,
नफ़रत के लाछन थे।
महोब्बत सरफिरी थी,
या यूँ कहे महोब्बत महोब्बत भूली थी।
नफ़रत ने गुहार लगाई,
कि महोब्बत कि गलती थी कि नफ़रत है दुनिया में आई।
महोब्बत गुनहेगार है,
फिर भी नफ़रत बदनाम है।
महोब्बत ने असूल है बनाया कि
"सब ज़ायज़ है महोब्बत और जंग में"।
महोब्बत ने महोब्बत को ही भूलाया,
महोब्बत साबित करने के सरूर में,
अपनी महोब्बत को सर-ऐ-आम है जलाया।
महोब्बत नज़रे झुकाऐ खड़ी थी,
खौफ-ऐ-मंजर पर नफ़रत भी रो पड़ी।
कलम का फैसला ऐतेहासिक हो गया,
जो मंज़र था उसने महोब्बत से नफ़रत और नफ़रत से महोब्बत सिखा दिया।
कलम छाप में कह गई -
ऐ-आशिक अगर जंग है महोब्बत तो हमें नफ़रत ही भली।
-Akanksha  gupta #openpoetry #open_poetry #poem #love #hate #lov_or_hate  #adalat #lovepoetry #hatepoetry #fiction#random #love_story
#OpenPoetry  फिर से कलम पर,
ज़िम्मेदारी आई जब ,
फिर अदालत में सुनवाई कि बारी आई।
महोब्बत कटगरे में खड़ी थी,
नफ़रत के लाछन थे।
महोब्बत सरफिरी थी,
या यूँ कहे महोब्बत महोब्बत भूली थी।
नफ़रत ने गुहार लगाई,
कि महोब्बत कि गलती थी कि नफ़रत है दुनिया में आई।
महोब्बत गुनहेगार है,
फिर भी नफ़रत बदनाम है।
महोब्बत ने असूल है बनाया कि
"सब ज़ायज़ है महोब्बत और जंग में"।
महोब्बत ने महोब्बत को ही भूलाया,
महोब्बत साबित करने के सरूर में,
अपनी महोब्बत को सर-ऐ-आम है जलाया।
महोब्बत नज़रे झुकाऐ खड़ी थी,
खौफ-ऐ-मंजर पर नफ़रत भी रो पड़ी।
कलम का फैसला ऐतेहासिक हो गया,
जो मंज़र था उसने महोब्बत से नफ़रत और नफ़रत से महोब्बत सिखा दिया।
कलम छाप में कह गई -
ऐ-आशिक अगर जंग है महोब्बत तो हमें नफ़रत ही भली।
-Akanksha  gupta #openpoetry #open_poetry #poem #love #hate #lov_or_hate  #adalat #lovepoetry #hatepoetry #fiction#random #love_story