फसलों का एहसास तब हुवा मुझे फसलों का एहसास तब हुवा जब मैंने कहा ठीक हूँ और आपने मान भी लिया। तुझसे लिपट कर रो सकें सहूलत से राब्ता तो इतना जरूर रखना था हमें हाथ मिला कर चल देना ये कोई मुलाकात तो नहीं मेरे दोस्त।