एक कली खिल गयी है मेरे आँगन में जिसकी खुशबु छाई है मनभावन में अभी छोटी सी आंखे उसकी मेरे अनगिनत सपने है मेरे सपनो में भरने सब रंगों को उसकी हथेली हिल गयी है एक कली मेरे आँगन में खिल गयी है उसके छोटे पग छोटे छोटे हाथ थिरकते रहते है मेरे वाजूद को आशीष देते रहते है अब मेरी इच्छाओ के सागर अब बदल गए है कही बारिश बनकर बिखर गए है अब सब नया सा लगता है जिंदगी तेरा दिल आज दिल से सुक्रिया करता है. ✒️सचिन मिश्रा मेरी बेटी.. काव्या