इन बादलों के धुएं ☁से थे हम.. वह हमसे होकर किसी और पर बरस🌨 गए.. कुछ शौक हमारे भी थे जो उल्फत में बह गए.. हम उनके होकर भी..उन्हीं को तरस गए.. इन बादलों से थे हम...