सामने अकड़ दिखा कर,पीछे मुस्करा लेते हो सुना है, आँखों से काजल चुरा लेते हो ये आवारगी का हुनर, कहाँ से लाए हो दर्द दिल में छिपा, कैसे मुस्करा लेते हो यूं तो तुम्हारे कई किस्से सुने हमने भी घर में नहीं, कहीं और पनाह लेते हो मोहब्बत तो तुम्हें उसी से है, है ना फिर क्यूँ रोज नया महबूब बना लेते हो सुना है, खुद को खुदा समझते हो तुम क्या तुम दरिया हाथों से उठा लेते हो ये इश्क का जाल यहाँ मत फैलाओ, अली हमें पता है, तुम बातें बना लेते हो हँसते तो सबके साथ ही हो तुम मगर ये बताओ गमों में कहाँ पनाह लेते हो ©Aliyas Shah #trytosay #aliyas_says #SuperBloodMoon