जब भी कभी घर से निकलता हूँ , माँ माथे पर एक छोटा सा टीका जरूर लगाती है। क्यों लगाती होगी ? आज तक नहीं जान पाया। उसकी आँखें देखकर लगता है कि, उसे बड़ा विश्वास है उस छोटे से टीके पे , तभी तो हमेशा मुस्कुराती है उसे देखकर।। अब तो मुझे भी इस टीके की आदत होने लगी है। उसके बिना लगता है अधूरा हूँ मैं। मुँह धोता हूँ तो माथे पर उसकी अधूरी छाप रह जाती है, और अगली सुबह वह छाप, फिर से मेरी माँ बन जाती है।। #NojotoQuote माँ का टीका। hindikavitakoshblog.blogspot.com