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कुछ भी कुछ भी कुछ भी करता है तू कुछ भी सोता नहीं

कुछ भी  कुछ भी
कुछ भी
करता है तू कुछ भी
सोता नहीं रात को
मानता नहीं बात को
जिद्दपन की हद्द है
छोड़ता नहीं ज़ज्बात को
रात को
कुछ भी  कुछ भी
कुछ भी
करता है तू कुछ भी
सोता नहीं रात को
मानता नहीं बात को
जिद्दपन की हद्द है
छोड़ता नहीं ज़ज्बात को
रात को