एक दिन हम भी कफ़न ओड़ जायेगें हर रिस्ता इस दुनिया से तोड़ जायेगें जितना जी चाहे सता लो यार एक दिन सबको रोता छोड़ जायेगें साबिर रज़ा कादरी