Nojoto: Largest Storytelling Platform

कुछ पल की पूर्णिमा थी , फिर अमावस्य आई थी । बूझ

कुछ पल की पूर्णिमा थी , 
फिर अमावस्य आई थी । 
बूझ गए वो दीए , 
जो गत वर्ष मैंने जलाई थी।
 
रोज तलाशती हूँ उस दीए को , 
जो बूझ कभी पाए ना । 
कब आएगी वो दीवाली ? 
फिर अमावस्य‌‌ आए ना । 

इस बार भी दीपक जलाऊँ‌गी‌ , 
पर्वत -  सी बाती की । 
तुम क्या बिगाडोगे‌ वारि‌ , 
तेरे ऊपर से जाऊँगी ।

©Annu Sinha #Diwali
कुछ पल की पूर्णिमा थी , 
फिर अमावस्य आई थी । 
बूझ गए वो दीए , 
जो गत वर्ष मैंने जलाई थी।
 
रोज तलाशती हूँ उस दीए को , 
जो बूझ कभी पाए ना । 
कब आएगी वो दीवाली ? 
फिर अमावस्य‌‌ आए ना । 

इस बार भी दीपक जलाऊँ‌गी‌ , 
पर्वत -  सी बाती की । 
तुम क्या बिगाडोगे‌ वारि‌ , 
तेरे ऊपर से जाऊँगी ।

©Annu Sinha #Diwali
annusinha1751

Annu Sinha

New Creator
streak icon1