कोई नहीं ======== कहने को तो सब अपने है यहाँ पर सच पुछो तो कोई नही, समंदर छुपा रखा है भीतर आँखे भीगी है पर रोई नही, बिखरे बिखरे से है सब मोती किसी ने बढ़ कर माला पिरोई नहीं, गर्द ज़मी है फासलों की मन पर लंबे अरसे से किसी ने धोई नही, इंतज़ार में टिकी रही निगाहें बुझती रही पर सोई नहीं, मिले है कुछ अफ़साने फिर से क्या समझूं ये भी वो है या फिर वो नही..???? #my written #poem #koinahi #कोईनहीं