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इश्क़ तेरे दरबार की असलियत,उफ़ तेरी मेहेरबानी, रूहों

इश्क़ तेरे दरबार की असलियत,उफ़ तेरी मेहेरबानी,
रूहों की इबादत में भी मिलावट मैं जानी।

क्यूँ तू झूठा इस क़दर, सुन ले मेरी ज़ुबानी,
जिस्म में डूब तू पहनता चोला शराफ़त का, ये मैं जानी।

मिलती नज़रों में चाहत को, प्यार ना मैं मानी,
आँखें घूम जाएँ पूरे बदन तो,उसे हवस ही मैं जानी।

लुट कर लुटाया सब ,फिर भी क्यूँ ये तानाशाही,
लौटूँ उस महफ़िल में फ़िर, इतनी नासमझ नहीं मैं जानी। #ghazal #sher #shayri #poetry #writing #nojoto #nojotoworld #nazmein
इश्क़ तेरे दरबार की असलियत,उफ़ तेरी मेहेरबानी,
रूहों की इबादत में भी मिलावट मैं जानी।

क्यूँ तू झूठा इस क़दर, सुन ले मेरी ज़ुबानी,
जिस्म में डूब तू पहनता चोला शराफ़त का, ये मैं जानी।

मिलती नज़रों में चाहत को, प्यार ना मैं मानी,
आँखें घूम जाएँ पूरे बदन तो,उसे हवस ही मैं जानी।

लुट कर लुटाया सब ,फिर भी क्यूँ ये तानाशाही,
लौटूँ उस महफ़िल में फ़िर, इतनी नासमझ नहीं मैं जानी। #ghazal #sher #shayri #poetry #writing #nojoto #nojotoworld #nazmein