ये कहाॅं लिखा है कि हम ही हर रोज़ जा कर किसी के दरवाज़े पर दस्तक दें। दरवाज़ा तो हमारे भी घर का खुला है, वो लोग कभी ख़ुद भी तो आ सकते हैं अगर आने की चाहत रखते हैं । और जो लोग हमें जानते हुए भी हमें नज़र-अंदाज़ करते हैं हम भी फ़िर उन लोगों के घर नहीं जाते। जो सवाल हमारे लिए होते ही नहीं हम भी फ़िर उन सवालों का जवाब नहीं देते । हर बार बात अना की नहीं होती लेकिन, बार-बार हम भी अपनी ख़ुद्दारी से समझौता नहीं कर सकते । और जो लोग हमारी self-respect की respect नहीं करते हम भी फ़िर उनके आगे बार-बार नहीं झुकते । ©Sh@kila Niy@z #basekkhayaal #basyunhi #self_respect #RESPECT #nojotohindi #Quotes #26november