मैंने एक माला की तरह तुम्हें खुद में पिरोया है कान्हा! तुम ही प्रातः तुम ही भोर,कहिं और नही दिल लगाना, निकाल सारे मोह को हृदय से, तुम्हें है हृदय में बसाना, छोड़ आई सारी गलियाँ, अब तेरे धाम में है बस जाना, ली जो प्रेम प्रीत की सीख तुमसे उसे हृदय माही बसना, सभी रसपान फीके है, प्रेम की प्रीत से मिठास है पाना, मेरा सर्वस्व तुम पर न्यौछावर कर दिया,अब कहाँ जाना, एक डोरी के हम दो छोर, तुम ही सागर तुम ही किनारा, सभी भावों को तुम से जोड़ लिया,न सुख न दुख का होना, निःस्वार्थ, निश्छलता ,समर्पण भाव सब तुम पर है लुटाना। #meresabkuchtum #krishna #krishnalove #competitionsbymanavi #yqdidi #yqbaba #yqquotes Time limit till 06:00pm tommorow evening... No word limit You have to maintain these hashtags Kindly keep the bell icon on to get recent updates... Results will be out tomorrow along with new topic...