'जिंदगी का पीछा करते करते हुए थे' हुए थे मशगूल इतने जिनके लिए......... वो भी अब कह बैठे की ना अब तुम हमारे रहे और ना हम तुम्हारे, जिंदगी की एक मीठी भूल थे तुम हमारी जैसे ही घुल कर पूरे हुए वैसे ही किनारे रहे ना अब हम कुछ तुम्हारे रहे और ना तुम कुछ हमारे, 'जिंदगी का पीछा करते करते' हुए थे मशगूल इतना जिनके लिए ......... Writer:-jain A@di ©shayar jain A@di #जिंदगी का पीछा करते करते ..... #BeautifulPoetry