क्या कहें कि किस दहशत में तेरे हिज़्र के दिन कटे हैं। जिए तो कम मगर मर मर के दिन कटे हैं। दिन तो दफ्तर में कट जाता था लेकिन ये रात ही बड़ी मुश्किल से काटे हैं एक मैं हूं कि जिसे गैरों से बात करना हराम लगता है एक वो हैं कि जो हर किसी पर मर जाते हैं कहते थे कि तुमसे बिछड़े तो मर जाएंगे हम ये कैसे लोग हैं जो बड़ी शिद्दत से झूठी कसमें खाते हैं अब तो तेरे लौट आने की उम्मीद भर तक नहीं आती अब तो अच्छा है कि चलो मर जाते हैं। कभी दो पंछियों के मिलने से आबाद हुआ था ये घोसला अब इस वीराने में कौन रहे चलो अब हम भी उड़ जाते हैं। ©Gumnaam tere nitazar hai #jonelia #gumnaam #alone