पल पल मर रहा हूँ पल पल जल रहा हूँ आग है विरहा की उस आग में चल रहा हूँ एक खुमारी है इश्क़ की एक नशा है महबूब की निगाहों का मैं मयखाने का पता भूल गया हूँ तेरी निगाहों से जो पि रहा हूँ एक खलिश है तेरी यादों की एक मुक्मल है दर्द तेरा मेरी आंखें देंखें ना कुछ और तेरा ही चेहरा जो दिखे हर ओर ©Ankur Mishra #विरहा #Woman