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पल पल मर रहा हूँ पल पल जल रहा हूँ आग है विरहा की

पल पल मर रहा हूँ
पल पल जल रहा हूँ
आग है विरहा की 
उस आग में चल रहा हूँ
एक खुमारी है इश्क़ की 
एक नशा है महबूब की निगाहों का
मैं मयखाने का पता भूल गया हूँ
तेरी निगाहों से जो पि रहा हूँ
एक खलिश है तेरी यादों की
एक मुक्मल है दर्द तेरा
मेरी आंखें देंखें ना कुछ और
तेरा ही चेहरा जो दिखे हर ओर

©Ankur Mishra #विरहा

#Woman
पल पल मर रहा हूँ
पल पल जल रहा हूँ
आग है विरहा की 
उस आग में चल रहा हूँ
एक खुमारी है इश्क़ की 
एक नशा है महबूब की निगाहों का
मैं मयखाने का पता भूल गया हूँ
तेरी निगाहों से जो पि रहा हूँ
एक खलिश है तेरी यादों की
एक मुक्मल है दर्द तेरा
मेरी आंखें देंखें ना कुछ और
तेरा ही चेहरा जो दिखे हर ओर

©Ankur Mishra #विरहा

#Woman
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Ankur Mishra

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