गर वो बोलना शुरू करे, न जाने दो पल में क्या कह जाता है समझ तो नहीं पाती, फिर भी उसे सीने से लगाने को दिल चाहता है देखता हैं निंजा हतौड़ी और भीम, और थोड़ी सी पढ़ाई करने से जी चुराता है स्कूल या ट्यूशन भेजो, तो उसे बुखार, पेट दर्द एक साथ हो जाता है जानते हुए कि बहाने बना रहा है, फिर भी उससे कोई जीत नहीं पाता है जीते भी तो कैसे वो इतनी बातें जो बनाता है और उसे खुद पढ़ाने बैठो, तो वो अपनी तोतली आवाज़ में कहता है "दीदी मुझे छब कुच आता है" - Vaishnavi Dhangar #mylittlebrother