#5LinePoetry जब चारों तरफ़ से ऊँगलियाँ तेरे #अस्तित्व पर उठने लगे... और तू उन #आरोपों के बोझ तले दबने लगे... तो उनकी नहीं अपनी भीतर की #आवाज़ को सुन.... क्यूँकि गर जो तू टूट गया तो तेरे अंदर का सब कुछ बिखर जाएंगा.... और जो #अपराध है भी नहीं तेरे, उनके लिए तू #बेवज़ह खुद को #दोषी ठहराएंगा। ~~दीपिकामिश्रा ©Deepika Mishra जब चारों तरफ़ से ऊँगलियाँ तेरे #अस्तित्व पर उठने लगे... और तू उन #आरोपों के बोझ तले दबने लगे... तो उनकी नहीं अपनी भीतर की #आवाज़ को सुन.... अपनी #हिम्मत को बाँधे रख..... क्यूँकि गर जो तू टूट गया तो तेरे अंदर का सब कुछ बिखर जाएंगा.... जो #अपराध है भी नहीं तेरे, उनके लिए तू #बेवज़ह खुद को #दोषी ठहराएंगा। ~~दीपिकामिश्रा